अपने अंदर के अहंकार को कैसे ख़त्म किया जा सकता है ?





अहंकार को खत्म तभी किया जा सकता है, जब मै की भावना खत्म होगी, क्योंकि जिस इंसान में मै की भावना आ जाती है तो वह पूर्ण रूप से अहंकार में डूब जाता है, चाहे वह मै ही क्यों न रहुं। अगर मुझ मे सर्वश्रेष्ठ रहने की भावना है, तो मुझे उसे निकालना होगा। उसे निकलने के लिए मुख्य रूप से हमे अपने जीवन में हर चीजों को सकारात्मक रूप देना होगा, तथा बेहतर करने के गुण व अति आत्मविश्वास के जगह सामान्य अर्थो में अपने आप को प्रस्तुत करना होगा, जिससे यह अहंकार खत्म होता जायेगा। कभी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए क्योकि हमेशा हमे यही कोशिश करते रहना चाहिए कि हम सभी बराबर है, अगर हम अपने से ज्यादा किसी को तुच्छ समझते है तो यह बहुत गलत कार्य है। अतः सभी को सामान रूप देखना चाहिए तथा सभी के साथ मिलजुल कर रहना चाहिए और उनके प्रति प्रेम-भावना रखनी चाहिए।




अहंकार एक बहुत ही बड़ी बीमारी है जो किसी को भी कभी भी हो सकता है, इससे बचने के लिए हमे किसी की भी सफलताओं जलना (Jealous) नहीं चाहिए और न ही उनसे नफरत करनी चहिए। बल्कि हमे उनकी सफलताओं को देखकर उनसे भी ज्यादा सफल होने की कोशिश करनी चाहिए। अहंकार करने से हम अपना ही विनाश करते है अहंकार में हम सब भूल जाते है और क्या सही और क्या गलत इसमें हम  भेद नहीं कर पाते और इसी करना हम अपने बनते कार्यो को भी संशय में डाल देते है। अतः हम अहंकार को एक तरह कह सकते है की अहंकार ही एक मनुष्य को उसके विनाश की तरफ ले जाती है। अतः जिस व्यक्ति के अंदर आ जाती है वह व्यक्ति कभी खुश नहीं रह सकता है क्योंकि वह हमेशा दुसरो के बारे में ही सोचता रहता है और वह दुसरो की सफलताओ व तरक्की को देखकर उनसे जलने लगते है और इसी चक्कर में वे अपनी खुशी कोभी  भूल जाते है।





अहंकार से बचने के लिए, हमे अपने आप को कभी सर्वश्रेष्ठ नहीं समझाना चाहिए, कभी दुसरो की सफलता को देखकर जलना नहीं चाहिए। हमे अपने अहंकार को खत्म करने के लिए धार्मिक व अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। हमे दुसरो के प्रति प्रेम-भावना रखनी चाहिए।